सुदामा पांडेय 'धूमिल'

सुदामा पांडेय 'धूमिल'

Thursday, September 14, 2017

भाषा की रात / #हिंदी_दिवस

, भाषावार हमलों से हलकान मेरे भाई !
क्या तुम्हें अब भी
उसी पे भरोषा है,
जिसके अधिकार में
हमारी लिट्टी है,
चावल है,
इडली है
डोसा है ?
हाय! जो असली कसाई है
उसकी निगाह में
तुम्हारा यह तमिल - दुःख
मेरी इस भोजपुरी - पीड़ा का
भाई है
भाषा उस तिकड़मी दरिंदे का कौर है
जो सड़क पर और है
संसद में और है
इसलिए बहार !
संसद के अंधेर से निकलकर
सड़क पे !
भाषा ठीक करने से पहले आदमी को ठीक कर

#हिंदी_दिवस #हिंदी_कविता #धूमिल

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