गरीबी धूमिल की एक अप्रकाशित कविता है। यह एक छोटी मगर उतनी ही सशक्त कविता है। शायद ये कविता धूमिल के प्रारंभिक कवितावों में से एक है जो आज तक प्रकाशित नहीं हुई है।
एक खुली हुई किताब
जो हर समझदार -
और मुर्ख के हाथ में दे दी गई।
कुछ उसे पढ़ते है
कुछ उसके चित्र देख
उलट-पुलट रख देते
नीचे- ' शो-केस ' के।
बेहतरीन...
ReplyDeleteगज़ब है, यह अप्रकाशित थी...