बचपन में सुना था कि सोने कि चिड़िया
था मेरा देश। अपने देश को मैं प्यार करता हूँ।
चिड़िया उड़ती है और आकाश में फेरा लगाती है
मेरे देश का घोंसला है मेरा ह्रदय।
मैं अपने देश को
प्यार करता हूँ।
जब मैं सयान हुआ मैंने पाया कि मिट्टी का
माधो है मेरा देश। मैं अपने देश को प्यार करता हूँ।
खेत की मेड़ के लिए
लड़ते किसान की बीच
मैं घायल होता हूँ
अपने मिट्टी के माधो को बांहों में थामकर
रोता हूँ
लेकिन जब लहकती फसलों का संगीत
खेतों में बजता है।
मेरी कविता में,
खून में बजता है एक राग
जो मुझे आदमी बनता है।
मुझमें जलती रहती है एक आग
जो मुझे जिन्दा रखती है। यह देश की
जगाई हुई आग है।
मैं अपने देश को प्यार करता हूँ।
मैं ऐसा विभोर कि नहीं जानता, कब मेरी कोई
कविता पहाड़ गाने लगेगी और कब
कोई नद। मैं नहीं जानता लेकिन
मेरा देश जानता है कि
नेकी और बदी
एक कवि के लिए यात्रा है
जीवन की।
मैं अपने देश को प्यार करता हूँ।
मेरा देश
मेरे लिए रास्ता है।
जो भविष्य की वादी में
खुलता है।